पुष्कर का मेला — दुनिया का अनोखा सांस्कृतिक उत्सव राजस्थान की धरती रंगों, परंपराओं और रॉयल संस्कृति का प्रतीक है। इन्हीं में सबसे चमकदार और ऐतिहासिक आयोजन है पुष्कर का जग–प्रसिद्ध मेला। पुष्कर मेले में ऊंट मेला, ब्रह्मा मंदिर, सरोवर स्नान, शॉपिंग, संस्कृति और रोमांचक गतिविधियों की पूरी जानकारी जानें। यह मेला हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर भरता है और 10–15 दिनों तक चलता है। इस मेले की पहचान सिर्फ धार्मिकता के कारण ही नहीं, बल्कि इसकी विविधता से है— 🟢 संस्कार 🟢 रोमांच 🟢 भक्ति 🟢 व्यापार 🟢 संगीत 🟢 ऊंट 🟢 विदेशी संस्कृति 🟢 आध्यात्म सब एक ही जगह देखने को मिल जाते हैं। पुष्कर मेला भारत ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। ✅ 📌 मेले का इतिहास और पौराणिक महत्व पुष्कर को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने यहाँ यज्ञ किया था। इसीलिए यहाँ भारत का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर है। हजारों श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में स्नान करने आते हैं। कहा जाता है कि सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा पर डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसी प...
उदयपुर शहर से जुड़ी ये बातें जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान!... उदयपुर के अद्भुत और कम लोगों को ज्ञात रोचक तथ्यों के बारे में जानें। झीलों की नगरी का इतिहास, संस्कृति, महल, किले और अनकहे राज जानें। घूमने वालों के लिए बेस्ट जानकारी। राजस्थान के खूबसूरत शहरों में से एक उदयपुर, जिसे "झीलों की नगरी" कहा जाता है, अपनी ऐतिहासिक विरासत, राजसी महलों और अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उदयपुर से जुड़ी कुछ बातें ऐसी हैं जो आपको चौंका सकती हैं? आइए जानते हैं इस अनोखे शहर के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य। 1 .उदयपुर का नाम कैसे पड़ा ? उदयपुर की स्थापना 1559 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने की थी। जब चित्तौड़गढ़ मुगलों के आक्रमण की चपेट में आ गया, तब महाराणा ने अरावली की गोद में एक नए शहर की नींव रखी, जिसे उनके नाम पर 'उदयपुर' कहा गया . 2.झीलों की नगरी – पानी से भरपूर रेगिस्तान! राजस्थान को रेगिस्तान का प्रदेश माना जाता है, लेकिन उदयपुर को देखकर ऐसा लगता ह...